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कोरोनावायरस केे डर के बीच इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स का ‘ज़िंदगियां बचाने का मिशन
7 बच्चों को तुरंत लिवर ट्रांसप्लान्ट के लिए मनीला और फिलीपीन्स से दिल्ली लाया गया
नई दिल्ली. जहां एक ओर पूरी दुनिया कोरोनावायरस के खतरे से जूझरही है, दुनिया भर में अधिकारी कोरोनावायरस को फैलने से रोकने पर ध्यान देरहे हैं, इसी बीच अन्य रोगें और बीमारियों केे प्रबंधन के लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन के बीच, गंभीर बीमारियों से पीड़ित कुछ मरीज़ों को उचित इलाज नहीं मिल पाया।
ज़िंदगियां बचाने के प्रयासों को जारी रखतेहुए हाल ही में अपोलो होस्पिटल्स ने मनीला और फिलीपीन्स से 7 बच्चों को इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स लाने का इंतज़ामन किया। इन बच्चों को तुरंत लिवर ट्रांसप्लान्ट की ज़रूरत थी और इलाज में किसी भी तरह की देरी उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती थी।
इन बच्चों को विशेष उड़ान के ज़रिए अस्पताल लाया गया, किसी भी तरह की एमरजेन्सी से निपटने के लिए एक मेडिकल टीम इनके साथ थी। पहले, हर माह फिलीपीन्स से तकरीबन 3 से 4 मरीज़ इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स आते थे। किंतु लाॅकडाउन की शुरूआत के बाद से ये बीमार बच्चे लिवर ट्रांसप्लान्ट के लिए इंतज़ार कर रहे थे। इनकी हालत बिगड़ती जा रही थी और उन्हें तुरंत इलाज की ज़रूरत थी। इलाज में देरी उनके लिए घातक हो सकती थी।
वर्तमान में इन बच्चों को अस्पताल में ही क्वारंटीन किया गया है। छह बच्चों को लीवर ट्रांसप्लान्ट की और एक बच्चे को पोस्ट-ट्रांसप्लान्ट मूल्यांकन की ज़रूरत है। उन्हें किसी संस्थागत सुविधा में क्वारंटीन नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे कोविड-19 के लिए हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं। साथ ही, उन्हें तुरंत इलाज की ज़रूरत है, इसलिए हमारे डाॅक्टर उनके स्वास्थ्य पर निरंतर निगरानी रखे हुए हैं।
डाॅ अनुपम सिब्बल, ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर एण्ड पीडिएट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स ने कहा, ‘‘कोविड से पहले इन्द्रपस्थ अपोलो होस्पिटल्स में हम फिलीपीन्स से आए मरीज़ों को नियमित रूप से इलाज करते थे, लेकिन महामारीके चलते कई देषों के बीच आवागमन की बाधाओं के कारण गैर-संचारी रोगों से पीड़ित बहुत से मरीज़ इलाज से वंचित हैं। साथ ही बहुत से लोग कोविड-19 के डर से ज़रूरी सर्जरी टाल रहे हैं। इन सब के घातक परिणाम हो सकते हैं।’’
इन बच्चों का मामला भी कुछ ऐसा ही था, इन्हें लिवर ट्रांसप्लान्ट की ज़रूरत थी। यहां इलाज में थोड़ी सी भी देरी बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती थी। किंतु दोनों देषों के दूतावासों से मिले सहयोग के कारण पूरी प्रक्रिया आसान हो गई। चैरिटेबल संगठनों और सोनू सूद ने भी इन बच्चों की मदद के लिए हाथ बढ़ाए। इसके चलते बच्चों को जल्द-से जल्द भारत लाया गया और इलाज प्रक्रिया शुरू की गई।
डाॅ नीरव गोयल, हैड ऑफ अपोलो लीवर ट्रांसप्लान्ट, हेपेटोबायलरी एण्ड पैनक्रियाटिक युनिट, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स ने कहा, ‘‘कोविड-19 के डर से ऐसे कई मरीज़ अपने इलाज को टाल रहे हैं, जिन्हें तुरंत जीवनरक्षक सर्जरी की ज़रूरत है। वे महामारी के खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं।
लिवर ट्रांसप्लान्ट के मामले में, सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है जब मरीज़ पर जोखिम बहुत ज़्यादाहोताा है। क्योंकि कोविड-19 के जल्दी जाने की संभावना नहीं दिख रही है, ऐसे में लिवर ट्रांसप्लान्ट के बिना इन मरीज़ों के जीवित रहने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
हमारे अस्पताल में कोविड-19 पाॅज़िटिव और नेगेटिव ज़ोन को पूरी तरह अलग रखा गया है और हम मुष्किल ट्रांसप्लान्ट प्रक्रियाओं को नियमित रूप से सफलतापूर्वक कर रहे हैं। मैं इतना ही कहूंगा कि इन मरीज़ों को डर से बाहर आकर अपनी सर्जरी करवानी चाहिए और इलाज को टालना नहीं चाहिए।’’
इन बच्चों को भारत लाना ही अपने आप में मुश्किल काम था। मनीला से नई दिल्ली तक कोई सीधी उड़ान नहीं था। इसके अलावा यात्रा के दौरान इन बीमार बच्चों के साथ मेडिकल टीम का होना भी ज़रूरी था। किंतु क्वारंटीन के सख्त नियमों और निर्देषों के चलते कोई भी डाॅक्टर यह जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं था।
भारत से मनीला जाकर इन बच्चों को यहां लाने के लिए भी डाॅक्टरों को कई परेषानियों का सामना करनापड़ता, क्योंकि दोनों देशों में उन्हें लम्बे समयतक क्वारंटीन में रहनापड़ता। भाग्य से हमें पताचला कि 10 इंटर्न फिलीपीन्समें अपनी मेडिकल ट्रेनिंग पूरी करने के बाद दिल्ली लौट रहे थे। इन डाॅक्टरों से संपर्क किया गया और इन्होंने उड़ान में किसी भी बच्चे के साथ होने वाली एमरजेन्सी से निपटने के लिए सहमति जताई।
बच्चों को भारत लाने के लिए अस्पताल ने फिक्की, फिलीपीन्स से संपर्ककिया। उन्होंने सोनू सूद (लोकप्रिय बाॅलीवुड अभिनेता) से भी संपर्क किया, जिन्होंने हज़ारों मजदूरों को उनके घर तक पहुंचने में मदद की थी। उन्होंने इन बच्चों को भारत लाने के लिए स्पाइसजैट की उड़ान की व्यवस्था की।
‘‘हमारा बच्चा लम्बे समय से लिवर ट्रांसप्लान्ट की इंतज़ार में था। हम उसे अप्रैल में अपोलो होस्पिटल्स लाने वाले थे। किंतु लाॅकडाउन के चलते हम नहीं आसके। इसी बीच उसकी हालत बिगड़ती चली गई। हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी, किंतु भगवान ने हमारी प्रार्थना सुन ली है।’’ एक बच्चे के अभिभावक ने बताया।
बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि वे अपोलो होस्पिटल के साथ निरंतर संपर्क में थे। उन्हीं उम्मीद थी कि भारत सरकार मनीला से दिल्ली के लिए उड़ान शुरू करेगी। आखिरकार अपोलो होस्पिटल्स, सरकारी अधिकारियों, फिक्की फिलीपीन्स और सोनू सूद की कोषिषें कामयाब हुईं। बच्चे सुरक्षित रूप से अस्पताल पहुंचे, जहां उनका इलाज किया जा रहा है।